जेहि सुख को खोजत फिरै, भटकि भटकि भ्रम माहिं।।
भूला जीव न जानई, सुख गुरु चरणन आहि।।
अर्थः-जिस सच्चे सुख की खोज और तलाश में यह जीव भटक भटक कर अनन्त काल से धोखे और भरम के फेर में पड़ा हुआ है, उसको यह भूला जीव खुद नहीं जान सकता, जबकि वह सच्चा सुख, सच्ची खुशी और सच्ची शान्ति पूर्ण सतगुरु के चरणों में है।
भूला जीव न जानई, सुख गुरु चरणन आहि।।
अर्थः-जिस सच्चे सुख की खोज और तलाश में यह जीव भटक भटक कर अनन्त काल से धोखे और भरम के फेर में पड़ा हुआ है, उसको यह भूला जीव खुद नहीं जान सकता, जबकि वह सच्चा सुख, सच्ची खुशी और सच्ची शान्ति पूर्ण सतगुरु के चरणों में है।
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