Friday, July 1, 2016

गुरु पग निस्चै परसिये, गुरु पग हिरदै राख।


सहजो गुरु पग ध्यान करि, गुरु बिन और न भाख।।
अर्थः- जिसको भी नित्य सुख और पूर्ण शान्ति की इच्छा हो वह दृढ़ विश्वास एवं अचल श्रद्धा के साथ श्री सद्गुरुदेव जी के चरणारविन्दों का स्पर्श करे। उन्हें अपने ह्मदय में धारण करे-आठों पहर अपने मन को उनके ध्यान में स्थिर करने का प्रयत्न करे और उनकी महिमा के बिना और किसी के गीत न गाये।

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