Saturday, March 5, 2016

बिन गुरु भक्ति मोह जग, कैसे काटा जाय।।

पहले गुरु भक्ति दृढ़ करो, पाछे और उपाय।
बिन गुरु भक्ति मोह जग, कैसे काटा जाय।।

अर्थः-जिज्ञासु और भक्ति के अभिलाषी के लिये परमसन्त श्री कबीर साहिब उपदेश करते हैं कि पहले गुरु की भक्ति में दृढ़ हो जाओ, और सब उपाय पीछे करना; क्योंकि जगत का मोह जाल बिना गुरु की भक्ति के नहीं काटा जा सकता। जब तक जगत की मोह ममता का फन्दा जीव के गले में पड़ा रहता है, तब तक सब  साधन निष्फल हो जाते हैं। मोह का फंदा काटने के लिये गुरु की भक्ति अत्यन्त आवश्यक है। मुक्त पुरुष सन्त सद्गुर की सेवा और कृपा के बिना आत्मा पर पड़े हुये मन-माया के बंधन कदापि नहीं कटते। बंधनों के कटे बिना कोई भी भवसागर के पार नहीं उतर सकता।

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