Saturday, March 12, 2016

गुरु प्रेम में मानवा, तन मन सभी रंगाय।

गुरु प्रेम में मानवा, तन मन सभी रंगाय।
फिर तू देखु विचारि करि, मोह लोभ कत जाय।।

अर्थः-ऐ मनुष्य! अपने तन मन को एक बार गुरु-प्रेम के रंग में पूरी तरह रंगा ले। तत्पश्चात तू स्वयं अपने अन्तर्मन में झाँककर देख कि लोभ-मोहादिक जिन विकारों ने तुझे चिरकाल से परेशान कर रखा था, किस प्रकार प्रेम प्रताप से पराजित होकर अपने आप ही भागने लग जाते हैं।

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