Friday, March 11, 2016

तू मत जानै बावरे, मेरा है सब कोय।

तू मत जानै बावरे, मेरा है सब कोय।
पिंड प्रान से बँधि रहा, सो अपना नहिं होय।।

अर्थः- ऐ बावले मनुष्य! तू यह मत समझ कि मैं जगत के भोगों और सुख-सामग्री को पाकर उनका मालिक बन गया हूँ और यह सब कुछ मेरा है। नहीं, इस भ्रम में मत रह। अन्यान्य सांसारिक सम्पत्ति का मालिक बनना तो दूर की बात रही; यह तेरा शरीर जो प्राणों की डोरी से बँधा हुआ हर समय तेरे साथ लगा है, यह भी तेरा अपना नहीं हो सकता। क्योंकि यह काल के मुख का ग्रास है और वह इसे एक दिन अवश्य तुझसे छीन ले जावेगा।

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