Sunday, February 28, 2016

हंसा बगुला एक सा

हंसा बगुला एक सा, मानसरोवर माहिं।
बग ढिंढोरै माछरी, हंसा मोती खाहिं।।
जा माया भक्तन तजी, ताहि चहै संसार।
भक्तन भक्ति प्यारी है, और न चित्त विचार।।

अर्थः-""हंस और बगुला दोनों मानसरोवर में रहते हैं, परन्तु हंस तो अपने स्वभाव के कारण मोती का आहार करते हैं जबकि बगुले मछली ढूँढते हैं। भाव यह कि भक्तजन और आम संसारी मनुष्य संसार में ही रहते हैं, परन्तु भक्त जन हंस की न्यार्इं भक्ति के मोती चुगते हैं जबकि आम संसारी मनुष्य माया रुपी मछली की प्राप्ति के यत्न में ही लगे रहते हैं।'' ""जिस माया को भक्तजन अति तुच्छ समझकर त्याग देते हैं, संसारी लोग उसी माया की कामना करते हैं। भक्तों को तो केवल मालिक की भक्ति ही प्रिय है। इसके अतिरिक्त उनके मन में अन्य कोई विचार उठता ही नहीं।''

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