लाख कोस जो
गुरु बसें, दीजै सुरत पठाय।
सबद तुरी
असवार हो, छिन आवै पल जाय।।
निस्सन्देह
एक शिष्य अपने आराध्यदेव श्री सद्गुरुदेव जी से लाखों कोसों की दूरी पर रहता है
यदि उसकी सुरति की धारा गुरु-चरणों से लगी है तो वह दूर रहता हुआ भी उनकी दया
दृष्टि से निहाल हो जाएगा।
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