भीखा भूखा
कोई नहीं सबकी गाँठी लाल।
गिरह खोलि
नहिं जानते, या बिधि भये कंगाल।।
अर्थः-सन्त
भीखा साहिब का उपदेश है कि इस संसार में भूखा अर्थात् सच्चे आत्मिक धन से हीन कोई
भी नहीं है। सबकी गाँठ में लाल बँधा है,
भाव यह कि सबके घट
में नाम का भण्डार विद्यमान है। परन्तु जब तक सच्चे सन्तों से गाँठ खोलने का भेद
ज्ञात न हो, अर्थात् नाम के भण्डार को जब तक
सन्त ही घट में प्रकट करके न दिखला दें,
तभी तक वह रंक और
दीन-दुःखी बना हुआ है। तथा जब सन्तों की दया के प्रताप से नाम का यह भण्डार हस्तगत
कर लिया जाता है,
तब तो आत्मा
मालामाल और निहाल ही हो जाती है।
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